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नाम की तो परवाह कीजिये हुजूर

आवाज
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आचार्य नरेन्द्रदेव, चनद्रशेखर आजाद व सरदार बल्लभ भाई पटेल। तीन नाम। तीन अजीम शखि्सयतें और इन तीनों के नाम से प्रदेश में स्थापित विश्वविद्यालय। तीनों ही कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय है। आचार्य नरेन्द्रदेव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज फैजाबाद में  है। चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर और सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय मेरठ में है। आचार्य नरेन्द्रदेव, चन्द्रशेखर आजाद व सरदार बल्लभ भाई पटेल के नाम पर बने विश्वविद्यालय मौजूदा समय में उच्च शिक्षा में मजाक का पात्र बन गये हैं। तीनों ही गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं और तीनों ही शोध, शिक्षा और प्रसार के लिए कम, बल्कि वित्तीय संकट और उससे उपजे हालात के लिए ज्यादा चर्चित है। वित्तीय संकट की वजह करीब दस साल पुरानी है। इन विश्वविद्यालयों के शिक्षकों व कर्चारियों को राज्य सरकार से वेतन दिया जाता है और इनका बजट राज्य सरकार ने करीब 11 वर्ष पूर्व ही फ्रीज कर दिया था।  आचार्य नरेन्द्रदेव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज की नींव पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्रीमती इंदिरा गांधी ने इस सपने के साथ रखी थी कि यह विवि पूर्वांचल के किसानों के लिए मील का पत्थर साबित होगा, लेकिन दुखद यह है कि  बीते करीब 75 दिनों से विवि के शिक्षक, कर्मचारी व दैनिक श्रमिक तक हड़ताल पर है और कामकाज पूरी तरह ठप हो चुका है। वजह यह कि शिक्षकों व कर्मचारियों को बीते छह माह से वेतन का भुगतान नहीं हो सका है। विवि के पास निर्माण परियोजनाएं अरबों रुपये की है, लेकिन शिक्षकों व कर्मचारियों को देने के लिए वेतन नहीं। आचार्य नरेन्द्रदेव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के करीब चालीस कर्मचारी असमय काल का शिकार हो चुके हैं। कुमारगंज विश्वविद्यालय के शिक्षकों व कर्चारियों को अपने पाल्यों की स्कूली फीस तक भरने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यह न केवल महापुरुषों के नाम पर बट्टा है, बल्कि स्व. इंदिरा गांधी के सपनों को तार-तार करने वाला भी है। कुमारगंज विश्वविद्यालय के शिक्षकों व कर्मचारियों ने कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी से लेकर केन्द्र व प्रदेश सरकार के मंत्रियों से  भी वित्तीय संकट को दूर करने की मांग की, लेकिन हुआ कुछ नहीं। सीधे शब्दों में कहें तो केन्द्र व प्रदेश सरकार को न तो इन महापुरुषों के नाम और उससे जुड़ी शोहरत की परवाह है और न ही उन उद्देश्यों की जिनके लिए ये विवि स्थापित किये गये। इस सच से कुमारगंज विवि में रुबरु हुआ जा सकता है जहां लगी आचार्य नरेन्द्रदेव की आदमकद प्रतिमा तो रंगाई-पुताई तक की मोहताज है।  एेसे हालात में जब उच्च शिक्षा को बेहतर बनाने के लिंए केन्द्र व प्रदेश सरकार तमाम दावे कर रही हैं उसमें प्रदेश के तीन कृषि विश्वविद्यालयों की यह हालत केन्द्र व प्रदेश सरकार के दावों का आईना है, जिसमें दावे और हकीकत के बीच का फर्क बिना किसी लाग-लपेट और बिना लिपे-पुते सामने आता है।

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